तू साथ देना ऐ ज़िन्दगी...



तू साथ तब तक तो देना ऐ ज़िन्दगी
की प्यास हर पूरी हो जाए.
कहीं पानी छलछला रहा हो आँखों में
और प्यास अधूरी ही रह जाए...

तू साथ तब तक तो देना ऐ ज़िन्दगी
की सांस हर पूरी हो जाए.
कहीं खुशबुओं की फुहार हो आसपास
और सांस अधूरी ही रह जाए...

तू साथ तब तक तो देना ऐ ज़िन्दगी
की याद हर पूरी हो जाए.
कहीं मिलने चला आये वो, राह तकी जिसकी
और याद अधूरी ही रह जाए...

तू साथ तब तक तो देना ऐ ज़िन्दगी
की आस हर पूरी हो जाए.
कहीं औंसुओं के रुकने की घडी आये
और आस अधूरी ही रह जाए...

तू साथ तब तक तो देना ऐ ज़िन्दगी
की रात हर पूरी हो जाए.
कहीं सुबह के सूरज का इंतज़ार करें हम
और रात अधूरी ही रह जाए...

तू साथ तब तक तो देना ऐ ज़िन्दगी
की आवाज़ हर पूरी हो जाए.
कहीं गीत के बोल हो ज़बान पर मेरी
और आवाज़ अधूरी ही रह जाए...

पर तू साथ तब ना देना ऐ ज़िन्दगी
की बात ये पूरी हो जाए.
टपकती रहे आँखें, तड़पता रहे दिल
और मांगने पे भी मौत ना आये.


Love,
Lipi Gupta



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